द्वितीय खंड
:
5.
लड़ाई का अंत
कमीशन की रिपोर्ट प्रकाशित होने के कुछ ही समय बाद जिस कानून के द्वारा
समझौता होनेवाला था, उसका मसौदा यूनियन गजट में प्रकाशित हुआ। इस मसौदे के
प्रकाशित होते ही मुझे केपटाउन जाना पड़ा। यूनियन पार्लियामेन्ट की बैठक
वहीं होनेवाली थी, वहीं होती है। उस बिल में नौ धारायें थीं। वह सारा बिल
'नवजीवन' के दो कालम में छप सकता है। उसके एक भाग का सम्बन्ध
हिन्दुस्तानी स्त्री-पुरूषों के विवाहों से था। उसका आशय यह था कि जो
विवाह हिन्दुस्तान में कानूनी माने जायं, वे दक्षिण अफ्रीका में भी
कानूनी माने जाने चाहिये। परन्तु एक से अधिक पत्नियां एक ही समय में किसी
की कानूनी पत्नियां नहीं मानी जा सकतीं। बिल का दूसरा भाग तीन पौंड के उस
कर को रद करता था, जो गिरमिट पूरी होने के बाद स्वतंत्र हिन्दुस्तानी
के रूप में दक्षिण अफ्रीका में बसना चाहनेवाले प्रत्येक गिरमिटिया मजदूर
को प्रतिवर्ष देना पड़ता था। बिल के तीसरे भाग में उन प्रमाणपत्रों के
महत्त्व पर प्रकाश डाला गया था, जो दक्षिण अफ्रीका में रहनेवाले
हिन्दुस्तानियों को मिलते थे। अर्थात् उस भाग में यह बताया गया था कि
जिन हिन्दुस्तानियों के पास ऐसे प्रमाणपत्र हों, उनका दक्षिण अफ्रीका
में रहने का अधिकार किस हद तक सिद्ध होता है। इस बिल पर यूनियन
पार्लियामेन्ट में लम्बी और मीठी चर्चा हुई।
दूसरी जिन बातों के लिए कानून बनाना जरूरी नहीं था, उन सबकी स्पष्टता
जनरल स्मट्स और मेरे बीच हुए पत्र-व्यवहार में की गई थी। उसमें
निम्न-लिखित बातों की स्पष्टता की गई थी : केप कॉलोनी में शिक्षित
हिन्दुस्तानियों के प्रवेश-अधिकार की रक्षा करना, खास इजाजत पाये हुए
शिक्षित हिन्दुस्तानियों को दक्षिण अफ्रीका में प्रवेश करने देना, पिछले
तीन वर्षों में (१९१४ से पहले) दक्षिण अफ्रीका में प्रवेश कर चुके शिक्षित
हिन्दुस्तानियों का दरजा तय करना और जिन हिन्दुस्तानियों ने एक से
अधिक स्त्रियों से विवाह किया हो उन्हें अपनी दूसरी पत्नियों को दक्षिण
अफ्रीका में लाने की इजाजत देना। इन सब प्रश्नों से सम्बन्ध रखनेवाले
जनरल स्मट्स के पत्र में एक और बात भी जोड़ी गई थी : ''मौजूदा कानूनों के
बारे में यूनियन सरकारने हमेशा यह चाहा है और आज भी वह चाहती है कि इन
कानूनों का अमल न्यायपूर्ण ढंग से और आज जो अधिकार भोगे जा रहे हैं उनकी
रक्षा करके ही हो।'' यह पत्र ३० जून, १९१४ को मुझे लिखा गया था। उसी दिन
मैंने जनरल स्मट्स को जो पत्र लिखा, उसका आशय इस प्रकार था :
''आज की तारीख का आपका पत्र मुझे मिला है। आपने धैर्य और सौजन्य के साथ...
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